तेरे दर्शन की अखियों को प्यास है Tere Darshan Ki Akhiyon Ko Pyas Hai Lyrics
तर्ज – काली कमली वाला।
कृष्ण कन्हैया सुनलो,
ये अरदास है,
तेरे दर्शन की,
अखियों को प्यास है।।
जब से छोडी गोकुल नगरी,
छोड़ गयें कान्हा बरसाना,
छोड़ गयें कान्हा बरसाना,
बस तेरे आने की,
मन को आस है,
तेरे दरशन की,
अखियों को प्यास है।।
घर घर जाकर माखन चुराते,
चिर गोपीयो के हर लाते,
चिर गोपीयो के हर लाते,
तेरे साथ बिताया,
हर पल खास है,
तेरे दरशन की,
अखियों को प्यास है।।
भुल गये तुम मित्र सखा सब,
सुबल विशाल गरीब सुदामा,
सुबल विशाल गरीब सुदामा,
संग चोरी संग जोरी,
करना खास है,
तेरे दरशन की,
अखियों को प्यास है।।
भुल गये तुम मात यसोदा,
नंद बाबा का प्यार पुराना,
नंद बाबा का प्यार पुराना,
मैया गईया,
यमुना जी को आस है,
तेरे दरशन की,
अखियों को प्यास है।।
अब तो आजा ओ हरजाई,
‘देव’ तेरी महीमा लिख गाई,
‘देव’ तेरी महीमा लिख गाई,
भुल चुक ये,
माफ करो अरदास है,
तेरे दरशन की,
अखियों को प्यास है।।
कृष्ण कन्हैया सुनलो,
ये अरदास है,
तेरे दर्शन की,
अखियों को प्यास है।।
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