कुछ पाने के खातिर तेरे दर हम लिरिक्स

Prakash
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कुछ पाने के खातिर तेरे दर हम लिरिक्स Kuch Pane Ke Khatir Tere Dar Lyrics

कुछ पाने के खातिर तेरे दर,
हम भी झोली फैलाए हुए है,
यहाँ झोली सभी की है भरती,
इसलिए हम भी आए हुए है,
कुछ पानें के ख़ातिर तेरे दर,
हम भी झोली फैलाए हुए है।।

तुमने सब कुछ जहां में बनाया,
चाँद तारे जमीं आसमां भी,
चलते फिरते ये माटी के पुतले,
तूने कैसे सजाये हुए है,
कुछ पानें के ख़ातिर तेरे दर,
हम भी झोली फैलाए हुए है।।

हो गुनहगार कितना भी कोई,
हिसाब माँगा ना तुमने किसी से,
तुमने औलाद अपनी समझकर,
सबके अवगुण छुपाए हुए है,
कुछ पानें के ख़ातिर तेरे दर,
हम भी झोली फैलाए हुए है।।

जिसपे हो जाए रहमत तुम्हारी,
मौत के मुंह से उसको बचालो,
तुमने लाखों हजारो के बेड़े,
डूबने से बचाए हुए है,
कुछ पानें के ख़ातिर तेरे दर,
हम भी झोली फैलाए हुए है।।

कुछ पाने के ख़ातिर तेरें दर,
हम भी झोली फैलाए हुए है,
यहाँ झोली सभी की है भरती,
इसलिए हम भी आए हुए है,
कुछ पानें के ख़ातिर तेरे दर,
हम भी झोली फैलाए हुए है।।

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इस भजन का वीडियो देखें : Devi Maa Bhajan | कुछ पाने के खातिर तेरे दर हम भी झोली फलाये हुए है | Richa Sharma (youtube.com)

Kuch Pane Ke Khatir Tere Dar Lyrics
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