कोई पीवो राम रस प्यासा | Koi Piyo Ram Ras Pyasa Bhajan Lyrics

Prakash
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कोई पीवो राम रस प्यासा,
कोई पीवो राम रस प्यासा।
गगन मण्डल में अली झरत है,
उनमुन के घर बासा॥टेर॥

* * * * *

शीश उतार धरै गुरु आगे,
करै न तन की आशा। हरी हरी।।
एसा मँहगा अमी बीकर है,
छः ऋतु बारह मासा।

कोई पीवो राम रस प्यासा,
कोई पीवो राम रस प्यासा।
एसा मँहगा अमी बीकर है,
छः ऋतु बारह मासा।

कोई पीवो राम रस प्यासा,
कोई पीवो राम रस प्यासा।
गगन मण्डल में अली झरत है,
उनमुन के घर बासा॥टेर॥

* * * * *

मोल करे सो छीके दूर से,
तोलत छूटे बासा। हरी हरी।।
जो पीवे सो युग युग जीवे,
कब हूँ न होय बिनासा।

कोई पीवो राम रस प्यासा,
कोई पीवो राम रस प्यासा।
जो पीवे सो युग युग जीवे,
कब हूँ न होय बिनासा।

कोई पीवो राम रस प्यासा,
कोई पीवो राम रस प्यासा।
गगन मण्डल में अली झरत है,
उनमुन के घर बासा॥टेर॥

* * * * *

एंही रस काज भये नृप योगी,
छोडया भोग बिलासा। हरी हरी।।
सहज सिंहासन बैठे रहता,
भस्ती रमाते उदास।

कोई पीवो राम रस प्यासा,
कोई पीवो राम रस प्यासा।
सहज सिंहासन बैठे रहता,
भस्ती रमाते उदास।

कोई पीवो राम रस प्यासा,
कोई पीवो राम रस प्यासा।
गगन मण्डल में अली झरत है,
उनमुन के घर बासा॥टेर॥

* * * * *

गोरखनाथ, भरथरी न पिया,
सो ही कबीर अम्यासा। हरी हरी।।
गुरु दादू परताप कछुयक
पाया सुन्दर दासा।

कोई पीवो राम रस प्यासा,
कोई पीवो राम रस प्यासा।
गुरु दादू परताप कछुयक
पाया सुन्दर दासा।

कोई पीवो राम रस प्यासा,
कोई पीवो राम रस प्यासा।
गगन मण्डल में अली झरत है,
उनमुन के घर बासा॥टेर॥

* * * * *

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