चारभुजा मेरी राख लजा लिरिक्स

Char Bhuja Meri Rakh Laja Lyrics

Prakash
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चारभुजा मेरी राख लजा,
हमको तेरी आस है।।


ब्रह्मपुरी मकराना माहि,
मंदिर की शोभा अति छाई,
सामने गणेश ठाड़े बुद्धि गुणवान है,
आगे हनुमान बड़े वीर बलवान है,
दक्षिण दिशा में शिव-भगवान,
गौरी-गजानन साथ है,
हमको तेरी आस है।।


उत्तरदिशा में वराह विराजे,
अन्नपूर्णिमा सँग में राजे,
सभा-चौक बीच में घंटा विकराल है,
सामने प्रभु का वाहन बैठा गोड़ीढाल है,
मझ-मंदिर में प्रभु का निवास,
‘सेवकजन’ तेरे पास है,
हमको तेरी आस है।।


श्यामवर्ण दशमेघ घटा है,
मोरमुकुट की बांकी छटा है,
ठोड़ी पर ठाकुर के हीरा,
केशर-तिलक भाल है,
गले में मोतीयन माला,
चमके लाल-लाल है,
अखंड-ज्योति का भव्य प्रकाश,
धुप-अगर की सुवास है,
हमको तेरी आस है।।


संवत सौलह सौ पंद्रह का,
माघ सप्तमी सोमवार का,
सपने में दरश दिये,
वापि में प्रगटभये,
अमलेश्वर-नर्बदेश्वर,
खडे हो दरश किये,
उनको दरश देकर पूरी किन्ही आस,
जहा योगी-स्थल खास है,
हमको तेरी आस है।।


कोट-किला तेरे है अति गाढ़े,
वीर पवनसुत चंहू दिशि ठाड़े,
नगर-नीलकंठ और,
अस्थल में गोपाल है,
शरणगहे की प्रभु,
करते प्रतिपाल है,
‘लक्ष्मणव्यास’ की यही अरदास,
हम चरणन के दास है,
हमको तेरी आस है।।


चारभुजा मेरी राख लजा,
हमको तेरी आस है।।


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