बाबा सब कुछ देख रहा है घट घट की वो जाने

Baba Sab Kuch Dekh Raha Hai Lyrics

Prakash
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बाबा सब कुछ देख रहा है घट घट की वो जाने Baba Sab Kuch Dekh Raha Hai Lyrics

बाबा सब कुछ देख रहा है,
घट घट की वो जाने,
प्रेम घृणा के अंतर्मन को,
बाबा तो पहचाने।।


मन में मैल को रखकर जो भी,
खाटू दौड़ा जाए,
कर ले चाहे लाख मिन्नतें,
श्याम को वो ना भाए,
खेल नहीं है जो करता है,
तू जाने अनजाने,
प्रेम घृणा के अंतर्मन को,
बाबा तो पहचाने।।


रखता ऊंचा अहम को हरदम,
पर माटी है काया,
लब पर मिथ्या नाम श्याम का,
हरदम पाप कमाया,
कर्मों की सच्ची पूंजी को,
रख अपने सिरहाने,
प्रेम घृणा के अंतर्मन को,
बाबा तो पहचाने।।


‘नेहा’ बोले सच्चे दिल से,
श्याम की सेवा कर ले,
साया बनकर साथ चलेगा,
श्याम को बस तू भज ले,
साथ जो दोगे तुम हारों का,
आए वो अपनाने,
प्रेम घृणा के अंतर्मन को,
बाबा तो पहचाने।।


बाबा सब कुछ देख रहा है,
घट घट की वो जाने,
प्रेम घृणा के अंतर्मन को,
बाबा तो पहचाने।।


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