ॐ जय सतगुरु दाता, ॐ जय सतगुरु दाता ।
त्रिगुण रहित निर्वाणी, जग के विख्याता ॥ ॐ जय…….
चेतन रूप निरंजन आप पिता-माता ।
भक्तन के हितकारी, सदा सुखी नाता ॥ ॐ जय ……
आदि सनातन देवा, अगम ज्ञान ज्ञाता ।
दुःख हर्ता, सुख कर्ता, सत्य रूप भाता । ॐ जय ……
मन के रोग मिटावन, पावन पथ जाता । ,
शील, क्षमा गुण आगर शरणागत त्राता ॥ ॐ जय……
शान्ति रूप शरीरा नाशक भव पीरा ।
धाय मनुज शरीरा, भक्तन के दाता ॥ ॐ जय ……
आदि पुरुष अविनाशी, सन्तन घट वासी ।
भव सागर दुःख नाशी, सत सुख के दाता ॥ ॐ जय……
अगम अगोचर स्वामी, तुम अन्तरयामी ।
अमर लोक के धामी, सन्तन मन राता ॥ ॐ जय……
सत्य रूप भय हारी, कामादिक मारी।
भक्तन के अघहारी, पार नहीं पाता ॥ ॐ जय……
श्री अमृत नाथजी दयाला, हरिये भव ज्वाला ।
शंकर कर प्रतिपाला, चरणन बलि जाता ॥ ॐ जय…..